
हमरे बारे में
गोरखपुरिया भोजपुरिया के संघर्ष और सफलता की कहानी
हमार कहानी
भोजपुरी भाषा के सम्मान देवे खातिर हमार संघर्ष और सफलता की यात्रा
गोरखपुरिया भोजपुरिया
पूर्वी उत्तर प्रदेश आ बिहार के भोजपुरी भाषा के गढ़ मानल जाला बाकिर आज ई विडंबना बा कि हमन आपन मातृभाषा से दूर हो रहल बाटी. लजाये अउर बोले के सही तरीका ना जाने के चलते हमन के हिंदी के अउर महत्व देवे लागल बाटीं। गोरखपुरिया भोजपुरिया एक गो अइसन समूह ह जवन सभ्य समाज में भोजपुरी भाषा के सम्मान देवे खातिर पिछला 5 साल से लगातार प्रयास कर रहल बा आ लोगन के भोजपुरी बोलले बतीयवले खातिर प्रेरित करत बा।

गोरखपुरिया भोजपुरिया ट्रस्ट
गोरखपुरिया भोजपुरिया ट्रस्ट समाज में भोजपुरी भाषा के सम्मान, संरक्षण आ संवर्धन खातिर प्रतिबद्ध बा। नीचे दिहल विवरण से ट्रस्ट के विधिक आ वित्तीय पहचान स्पष्ट होखेला जवन हमार विश्वासनीयता आ पारदर्शिता के प्रमाण ह।
पंजीकरण विवरण
- ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन नंबर: 4/323/391-412/219/2024
- आयकर धारा 12A: AAETG8104HE2024101
- 80G रजिस्ट्रेशन: AAETG8104HE2024101
- नीति आयोग आईडी: UP/2024/0451042
- PAN: AAETG8104H
बैंक अकाउंट विवरण
- Account Name: GORAKHPURIYA BHOJPURIA
- Account No: 113188700000182
- IFSC: YESB0001131
- Bank: YES BANK
- Account Type: Current Account - Trust
गोरखपुरिया भोजपुरिया के यात्रा
एह समूह के स्थापना श्री विकास श्रीवास्तव और श्री नरेन्दर मिसिर के प्रयास से भईल रहल। ई कॉर्पोरेट जगत, व्यवसायी डॉक्टर , वकील , आईटी विशेषज्ञ, शिक्षा जगत से जुडल लोग आ अन्य सभी क्षेत्रन के लोगन के बीच भोजपुरी भाषा के बारे में जागरूकता फई लवले के कार करत बा । एकर लक्ष्य बा कि शिक्षित समाज आपन मातृभाषा पर गर्व करे आ एके अपने दैनिक जीवन में उपयोग करे। ई बात सबके समझे के पड़ी की भाषा के उपयोग ही भाषा के जियत रखले के पहिला शर्त बा
गोरखपुरिया भोजपुरिया का मिशन का ह?
गोरखपुरिया भोजपुरिया याद दियवले के कार करत बा कि जड़ से जुड़ल रहल केतना जरूरी बा. भोजपुरी एक गो समृद्ध भाषा ह जवना के आपन साहित्यिक परम्परा, लोककथा आ लोकगीत बा. हमन के एह धरोहर के बचावे अउर आगे बढ़ावे के कोशिश करे के चाहीं। ई कर सबके सहयोग से ही संभव बा। भोजपुरी भाषा के सम्मान दिहले से ही आवे वाली पीढियन खातिर ई भाषा सुरक्षित रही। भोजपुरी भाषा के संरक्षण आ संवर्धन खातिर भोजपुरी शब्दकोश के निर्माण, लोक गीत आ लोक साहित्य के संकलन। एह भाषा के अध्ययन आ रिसर्च मे जुटल नया पीढी के समर्थन आ सहयोग आ सबके साथ मिल के ए गो भोजपुरी अध्ययन केंद्र के स्थापना के प्रयास कइल जाय। आज के इंटरनेट आ सोशल मीडिया के दौर मे ए गो भोजपुरी मीडिया , साहित्य आ मनोरंजन प्लेटफॉर्म के निर्माण के भी प्रयास रही।।
"हमार लक्ष्य बा कि भोजपुरी भाषा घरे के बाहर निकल के समाज के मुख्य धारा में शामिल होवे"
हमार प्रेरणास्रोत
स्वर्गीय डा. रवीन्द्र श्रीवास्तव 'जुगानी'

रवीन्द्र श्रीवास्तव “जुगानी भाई”
प्रेरणास्रोत • आकाशवाणी गोरखपुर (सेवा निवृत्त कार्यक्रम अधिकारी) • 500+ लघु नाटिकाओं के लेखक/निर्देशक
स्व. रवीन्द्र श्रीवास्तव “जुगानी भाई” आकाशवाणी गोरखपुर के सेवा निवृत्त कार्यक्रम अधिकारी रहलें। जुगानी भाई नाम से मशहूर डा. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव पर दी. द. उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग में शोध प्रबंध प्रस्तुत हो चुकल बा। आप आकाशवाणी गोरखपुर खातिर 500 से अधिक लघु नाटिका के लेखन-निर्देशन भी कइले रहलीं।
जुगानी भाई के उ. प्र. हिन्दी संस्थान से लोकभूषण सम्मान, वर्ष 2013 में विद्याश्री न्यास के आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान आ विद्यानिवास मिश्र लोककला सम्मान प्राप्त भईल। उनकर रचना ‘मोथा अउर माटी’, ‘गीत गांव-गांव के’, ‘नोकियात दूब’ आ ‘अखबारी कविता’ जइसन कृतियन से भोजपुरी की थाती बढ़उले बाटें।
श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव के उ. प्र. हिन्दी संस्थान वर्ष 2015 के भिखारी ठाकुर सम्मान दिहले रहल। उनके वर्ष 2001 में संस्कार भारती, 2002 में लोकभूषण, 2004 में भोजपुरी रत्न, 2009 में सरयू रत्न, 2011 में पं. श्याम नारायण पांडेय सम्मान आ 2012 में राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार मिल चुकल बा।
आप दिनांक 14 फ़रवरी 2025 के एह नश्वर शरीर के छोड़ के अनंत यात्रा पर प्रस्थान क गईलीं।
सम्मान एवं उपलब्धियाँ (चयनित)
- उ.प्र. हिन्दी संस्थान — लोकभूषण सम्मान
- 2013 — विद्याश्री न्यास: आचार्य विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान
- विद्यानिवास मिश्र लोककला सम्मान
- 2015 — उ.प्र. हिन्दी संस्थान: भिखारी ठाकुर सम्मान
- 2001 — संस्कार भारती सम्मान
- 2002 — लोकभूषण
- 2004 — भोजपुरी रत्न
- 2009 — सरयू रत्न
- 2011 — पं. श्याम नारायण पांडेय सम्मान
- 2012 — राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार
स्मृतियाँ — कार्यक्रमन के झलक











“भोजपुरी बस भाषा ना, अपन गवाही बा — संस्कृति, संस्कार आ समाज के।”
— डा. रवीन्द्र श्रीवास्तव 'जुगानी'
हमार संरक्षक
अनुभवी अभिभावकन के मार्गदर्शन में आगे बढ़त हमार संगठन

डा. संजयन त्रिपाठी
नवल्स एकेडमी समूह के अध्यक्ष

प्रो. हर्ष सिन्हा
गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर
सभी मार्गदर्शकों के बारे में जानें
विस्तृत जानकारी और उनके योगदान के बारे में
हमार मिशन और दृष्टि
भोजपुरी भाषा के संरक्षण और विकास के लिए हमारा संकल्प
हमार उद्देश्य
ए गो अइसन समाज के कल्पना जहाँ भोजपुरी भाषा के उचित सम्मान मिले आ ई शिक्षा, साहित्य, आ सार्वजनिक जीवन के मुख्यधारा में शामिल हो । भविष्य के पीढ़ियन खातिर एह समृद्ध भाषा के सुरक्षित रखल जा सके । भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता मिले आ शैक्षणिक संस्थानन में भोजपुरी पाठ्यक्रम भी लागू कइल जा सके। एह भाषा के वैश्विक स्तर पर पहचान मिले आ एकर सम्मान होखे।
- भोजपुरी भाषा का संरक्षण
- युवाओं में जागरूकता फैलाना
- सांस्कृतिक विरासत को बचाना
हमार दृष्टि
एक ऐसे समाज की कल्पना जहाँ भोजपुरी भाषा को उचित सम्मान मिले और यह शिक्षा, साहित्य, और सार्वजनिक जीवन की मुख्यधारा में शामिल हो। भविष्य की पीढ़ियों के लिए इस समृद्ध भाषा को सुरक्षित रखना।
- भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता
- शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यक्रम
- वैश्विक स्तर पर पहचान
हमार मूल्य
सम्मान
भोजपुरी भाषा के सभ्य समाज में सम्मान दिलाना
समुदाय
भोजपुरी भाषी लोगों के बीच एकता बनाना
लक्ष्य
भोजपुरी भाषा का संरक्षण और विकास
दृष्टि
भविष्य की पीढ़ियों के लिए भोजपुरी को सुरक्षित रखना
हमार संस्थापक
भोजपुरी भाषा के सम्मान के लिए समर्पित ये महान व्यक्तित्व

श्री विकास श्रीवास्तव
संस्थापक एवं संयोजक
"भोजपुरी भासा पर लगल पिछड़ेपन के ठप्पा तब्बे हटी जब एह भासा में बे हिचक बोलल बतियावल जाइ । घरे के साथ साथ अपने कार्यस्थल पर भी भोजपुरी अपनऊले के जरूरत बा"
परिचय
विकास जी भोजपुरी भाषा के संरक्षण के लिए समर्पित एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने कॉर्पोरेट जगत और व्यवसायिक समुदाय के बीच भोजपुरी भाषा को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उपलब्धियाँ
- 4+ वर्षों का सामाजिक कार्य अनुभव
- 1500+ सदस्यों के समूह का नेतृत्व
- 100+ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

श्री नरेन्दर मिसिर
सह-संस्थापक एवं सह-संयोजक
"भोजपुरी भासा के संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल कईले के मांग से पहिले एके अपने घरे के पहिली अनुसूची में शामिल कईले के जरूरत बा ताकि एह भासा में बोलल बतियावल जा सके"
परिचय
नरेंद्र जी एक समर्पित शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो भोजपुरी भाषा के शैक्षणिक विकास के लिए काम कर रहे हैं। उनका फोकस युवा पीढ़ी को भोजपुरी से जोड़ने पर है।
उपलब्धियाँ
- शिक्षा क्षेत्र में 10+ वर्ष अनुभव
- युवा जागरूकता अभियान के प्रमुख
- साहित्यिक कार्यक्रमों के संयोजक
संस्थापकों की प्रेरणादायक कहानी
विकास श्रीवास्तव और नरेंद्र मिश्र की मुलाकात 2019 में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में हुई थी। दोनों ने महसूस किया कि भोजपुरी भाषा को समाज में उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। इसी चिंता ने उन्हें गोरखपुरिया भोजपुरिया की स्थापना के लिए प्रेरित किया।
आज यह संगठन 1500 से अधिक सदस्यों के साथ भोजपुरी भाषा के संरक्षण के लिए काम कर रहा है।
